आनंद बख़्शी के गीतों का जादू

 जैसे ही मेरी उम्र के लोग चार-पांच साल के हुए आनंद बख़्शी की शोहरत के सितारे बुलंदी छूने लगे ...लेकिन ज़िंदगी के उस दौर में हमें रेडियो या किसी समारोह से पहले मोहल्ले में लगे बड़े से लाउड-स्पीकर से ऊंची आवाज़ में बढ़िया बढ़िया गीत सुनने से मतलब होता था ..

फिर एक बार रेडियो सुनते हुए पता चला कि आनंद बख़्शी ने ३५०० के करीब फिल्मी गीत लिखे हैं और ६५० के करीब फिल्मों के लिए लिखे हैं...मैं तो यह सुन कर हैरान ही रह गया। इतने गीत ...उस के बाद मैं जब भी रेडियो पर गीत सुनता और गीतकार का नाम ध्यान से सुनता ... आनंद बख़्शी का नाम सुनते ही मैं हैरान हो जाता कि अच्छा, यह मेरा इतना पसंदीदा गीत और मुझे पता ही न था कि यह भी आनंद बख्‍शी की क़लम का ही जादू है ...

ख़ैर, एक बात मैंने देखी है ...नेट पर भी देखता हूं ..बहुत सी जगहें ऐसी हैं जहां पर गीत के बोल तो मिल जाते हैं लेकिन गीतकार का नाम लिखने में उन्हें बहुत परेशानी होती है ...पता नहीं क्यों...और कईं बार तो गीतकार का नाम भी गलत लिखा होता है ...और भी एक बात, गीतकार के लिखे हुए लिरिक्स भी थोड़े इधर उधर लिखे होते हैं...इसलिए कुछ भी जानकारी हासिल करने के लिए ख़ासी मशक्कत करनी पड़ती है।

लेकिन अगर इन महान गीतकारों की अगली पीढ़ी ही इन का काम हम तक पहुंचाने का बीढ़ा उठा लें तो कितनी बढ़िया बात है ...आनंद बख़्शी साब के साहिबज़ादे राकेश आनंद बख़्शी ने और हसरत जयपुरी की बेटी किश्वर जयपुरी ने यह काम फेसबुक पेज के ज़रिए शुरू किया है - यह एक बहुत ही बढ़िया शुरूआत है ...

राकेश आनंद बख़्शी ने तो आनंद बख़्शी पर एक किताब भी लिखी है ... एक बेटे ने बड़े दिल से लिखी है यह किताब ...इसे ज़रूर पढ़िए....

३५०० गीत लिख दिए ... यह बात लिखना आसां है..लेकिन जिस ने ये गीत लिखे ...ज़िंदगी के हर मूड के लिए ...उस पर क्या बीती होगी ...यह तो वही जानते होंगे ..लेकिन उस की एक झलक इन की अगली पीढ़ी के मार्फ़त हमें मिल रही है ...हम सब को इन का बहुत शुक्रगुज़ार होना चाहिए ...वरना, लोग इस तरह के काम में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाते और हम चाहते हैं अपने महबूब गीतकारों के बारे में ज़्यादा से ज़्यादा जानना और उन की ज़िंदगी से प्रेरणा हासिल करना ..देखो भाई, सीधी सीधी सी बात है जिन लोगों ने इतने उम्दा गीत हमें दिए ....मैं तो सैंकड़ों-हज़ारों बार इन्हें सुनते नहीं थकता ...सोचने वाली बात यह है कि ये लोग ख़ुद कितने उम्दा होंगे ... 

मैं भी सारा दिन सुबह उठने से लेकर रात सोने तक इन गीतों में ही खोया रहता हूं ...सैंकड़ों गीत अपने दूसरे ब्लॉग्ज़ पर एम्बेड करता रहता हूं ...अपना लिखा हुए लेख तो पढ़ने से गुरेज़ ही करता हूं लेकिन वे गीत जो एम्बेड करता हूं उन्हें बार बार सुन कर ज़रूर खुश हो जाता हूं ...इसलिए बहुत दिनों से सोच रहा था कि मैं अपने पसंदीदा गीतकारों की और उन के गीतों की अपनी एक डॉयरी भी तो अपने पास रखूं ... इसलिए इस ब्लॉग को शुरू किया....

मैं अपने आप से कहता हूं कि यार तेरे में डेंटिस्ट्री तो ५-१० प्रतिशत है और बाकी ९० प्रतिशत तो तेरे अंदर फिल्मी गीत भरे पड़े हैं...अब जो है सो है .... ५५ साल के करीब हो गए जिन गीतों को सुनते हुए अब उन का असर तो होना ही है हमारी शख्सियत पे ... जैसे मैंने बख्शी साब का वह गीत पता नहीं कम से कम सैंकड़ों बार तो सुन ही लिया होगा ...और शायद इस गीत ने मुझे दूसरों का नज़रिया देखने की भी आदत डाल दी ...उस का नतीजा यह हुआ कि मुझे कभी कोई बुरा लगता ही नहीं.... क्योंकि पहला पत्थर तो वो मारे जिसने पाप न किया हो जो पापी न हो ... 

मैं कईं बार सोचता हूं कि ५०-५० साल हो गये हमें अपने महबूब गीतकारो के गाने सुनते हुए लेकिन अभी रोज़ किसी न किसी गीत के बारे में पता चलता कि यह भी उन्होंने ने लिखा ...अच्छा, यह भी उन्होंने लिखा ... हम भी कैसे फैन हैं..... लिखने वाले ने ३५०० के करीब गीत लिख दिेए और मुझे अभी लिस्ट बनानी पड़े तो मैं ३५ की लिस्ट भी न बना पाऊं....इसलिए मुझे रोज़ाना जब इन के नए नए गीतों के बारे में पता चलता है तो बहुत अच्छा लगता है ....इतना अच्छा लगता है कि मैं उस गीत की पहली लाइन अपने पास पड़े किसी काग़ज़ के टुकड़े पर लिख लेता हूं और अगले दिन तक उसे कहीं गुम कर बैठता हूं ...इसी परेशानी का हल निकालने के लिए मैंने सोचा चलिए इस ब्लॉग रूपी डॉयरी में ही इन्हें सहेजना शुरु करते हैं...देखते हैं .....और इसमें मुझे अपने पसंदीदा गीतों के बारें में, उन के गीतकारों के बारे में ...उन गीतों से जुड़ी अपनी यादों का पिटारा खोलना है ...हर गीत से कुछ न कुछ यादें जुड़ी रहती हैं हम सब ....

क्या ये फिल्मी गीत ही हैं...सोचिए ज़रा...४८ साल से सुन रहे हैं इस भजन को ...लेकिन पता परसों चला कि इस के रचयिता भी आनंद बख़्शी साब ही है ... मेरी विनती सुने तो जानूं, मानूं तुझे मैं राम ...राम नहीं तो कर दूंगा सारे जग में तुझे बदनाम...

एक बात बतानी थी आपको, यह कोई ख़ास बात नहीं है वैसे....अब मुझे गीत सुनते ही यह उत्सुकता रहती है कि इसे लिखा किस ने है ...कल दोपहर की ही बात है ...मैं रेडियो सुन रहा था ...शायद आधा-पौन घंटा मैंने सुना...उस दौरान आनंद बख़्शी साब के पांच गीत बजे ....जब जब बहार आई और फूल मुस्कुराए....,मेरे देश में पवन चले पुरवाई......, ख़ुश रहे तू सदा ये दुआ है मेरी..., यह जो चिलमन है ...., और हम तो चले परदेस, हम परदेसी हो गए....

दोस्तो, अगर मेरे लिखने में कुछ गलती हो जाए ...गीतकार के नाम आदि की तो कमैंट्स में ज़रूर लिख दिया करें ....मैं गीत-संगीत के बारे में ए-बी-सी नहीं जानता, बिल्कुल बेसुरा इंसान हूं बस मेरी योग्यता यही है कि मुझे पुराने हिंदी नग़में बहुत अच्छे लगते हैं ..जब इन्हें सुनता हूं तो एक गीत को दस-पंद्रह बार देख- सुन कर थोड़ी सी तसल्ली हो पाती है ...

अच्छा, बाकी बातें अगली पोस्ट में करेंगे ...आप भी कुछ लिखा करें, कमैंट्स में ...अच्छा लगेगा...

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